दिल चुपके से रो देता है क्योंकि बात नहीं होती तुमसे
दिल कहने को तरसता है पर बात नहीं होती तुमसे
य तुमपे ही तो मरता है पर कुछ कहने से डरता है
तेरी एक झलक बस पाने को दिन रात ये आहे भरता है
ये चलता है फिर रुक जाता फिर कुछ नही कह पाता तुमसे
फिर चुपके से रो देता है क्योंकि बात नहीं होती तुमसे
एक बार जो सामने आ जाओ दिल खोल के रख दूँगा मैं
ना माँगू तुमसे कोई रिश्ता न कोई आस रखूंगा मैं
तुम खुश रहो यह काफी है पर यह भी नही कहता तुमसे
फिर चुपके से रो देता है क्योंकि बात नहीं होती तुमसे
क्या करूँ ज़िक्र मैं बूंदों का ये टिकता कब है आँखों मे
देख ले जिस दिन तुझको ये बह जाएगा ये धारों मे
जी भर के देखेगा तुमको कह ना पायेगा ये कुछ तुमसे
और फिर रो देगा ये छुपके से क्योंकि बात नहीं होती तुमसे
दिल चुपके चुपके रो देता है क्योंकि बात नहीं होती तुमसे
दिल कहने को तरसता है पर बात नहीं होती तुमसे