तेरा रुठना

तेरे रूठ जाने से प्यार ये मेरा कम ना होगा
तेरे होठों पे लाख़ इंकार सही मेरा इकरार कम ना होगा

तू न आ मुझको नज़र कोई बात नहीं
मेरी आँखों मे तेरा इंतज़ार कम ना होगा
तू सोचती है तेरी बेरुख़ी से टूट जाउंगा मैं
तुझे ख़बर नहीं कि सिलसिला है चाहतों का
जो अब कभी तेरे चाहने से कम ना होगा

तू कहती है कि तुझको भूल जाऊँ मैं
पर तुझको भी मुझे खोने का ग़म कम ना होगा
ग़ुरूर है तुझको मेरे प्यार पे मालूम है मुझे
जानता हूँ तेरा मेरे पास आना मुमकिन न होगा

तू मेरी नहीं इस बात का ग़म है मुझको
तुझे मेरे दर्द से वाक़िफ तो होना ही होगा
रोक नहीं सकती तू मुझको ‘ख़ुद’ को चाहने से
तेरी यादों को मेरी आदत में शामिल होना ही होगा

तेरे रूठ जाने से प्यार ये मेरा कम ना होगा
तेरे होठों पे लाख़ इंकार सही मेरा इकरार कम ना होगा!

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