धुंधली याद

एक धुंधली सी याद को जगाने में
सैंकडों ख्याल खुद ब खुद आ गए दिल के आसमानों पे

कोई बीता लम्हा फिर से आया
और कई बीते पल फिर से गुज़र गए
जाने क्यों इन छूटे हुए पलों को पकड़ने मेंं
ये आता हुआ लम्हा भी फिसल गया

एक धुंधली सी याद को जगाने में
सैंकडों ख्याल खुद ब खुद आ गए दिल के आसमानों पे

मन के साथ उड़ती हैं ये यादें
ज़हन में बस जाती हैं
जब भी अकेले बैठो
चुपके से कानों में कुछ कह जाती है

एक धुंधली सी याद को जगाने में
सैंकडों ख्याल खुद ब खुद आ गए दिल के आसमानों पे

गूँजती हैंं हर कही अन-कही बातें
तैरता है आँखों मेंं हर वो नजा़रा
जाने दिल के कोने से कौन सा ज़ख्म उभर आया
जाने कैसे ये हंसी तैर गई होंठों पे

एक धुंधली सी याद को जगाने में
सैंकडों ख्याल खुद ब खुद आ गए दिल के आसमानों पे

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